समाज में वास्तविक विचार ऐसा होना चाहिए जो व्यक्तिगत विकास के साथ-साथ सामूहिक कल्याण पर भी केंद्रित हो। इसमें समावेशिता, समानता, और न्याय के सिद्धांतों को महत्व दिया जाना चाहिए। व्यक्ति को अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर सामाजिक जिम्मेदारियों को समझना चाहिए और अपने कार्यों से समाज की भलाई में योगदान देना चाहिए।
वास्तविक विचार में सहानुभूति, परोपकार, और दूसरों के प्रति सम्मान की भावना होनी चाहिए, ताकि समाज में शांति, सहयोग, और प्रगति संभव हो सके। इसका उद्देश्य केवल भौतिक सफलता नहीं, बल्कि नैतिकता, सहयोग, और समग्र विकास होना चाहिए।