रामायण भक्त‌

चौपाई: जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं। सुख संपति नाना बिधि पावहिं।सुर दुर्लभ सुख करि जग माहीं।अंतकाल रघुपति पुर जाहीं। अर्थात तुलसी बाबा कहते हैं जो मनुष्य रामायण को सकामभाव से सुनते हैं और जो गाते हैं, वे अनेकों प्रकार के सुख और संपत्ति पाते हैं। वे जगत् में देवदुर्लभ सुखों को भोगकर अंतकाल में … Read more

ईश्वर जो सामने है

पंचतत्व में सम्मिलित श्री अग्नि को कौन नहीं जानता। भारत वह देश है जहां अग्नि को अग्नि देव कहा जाता है। अग्नि पुराण नाम से एक महान ग्रंथ है। अग्नि पुराण के सानिध्य में जब आप जाएंगे तो पता चलेगा अग्नि देव का इस सृष्टि के ऊपर कितना उपकार है।  अग्नि के बिना कोई सृष्टि … Read more

आनंद कहां है

आनंद किसी अटारी पर रखा हुआ वस्तु नहीं है जो लपक कर उठा लिया जाए। आनंद दो किस्म का होता है। एक आनंद जो स्वयं आता है और दूसरा जिसे हम जबरदस्ती लेकर आते हैं। स्वयं आने वाले आनंद का उम्र लंबा होता है और उसके साइड इफेक्ट नहीं होते। परंतु जबरदस्ती लाया गया आनंद … Read more

ईश्वर भी गुलाम

संसार में कोई ऐसा भी भक्त हुआ करते हैं जो कहते हैं ईश्वर मेरा गुलाम है। ऐसा कहने वाले स्वयं सिद्ध करते हैं कि वह मूर्ख है। जैसे छोटा बच्चा छुपा-छुपी खेल में दूर जाकर अपनी आंखें बंद कर लेता है और कहता है अब मुझे ढूंढ लो। छोटे बच्चों को यह पता नहीं होता … Read more

ईश्वर का अस्तित्व चिंतन

  जबकि वेद यह स्पष्ट रूप से कहता है, “जिसने ईश्वर को देखा है, वह ईश्वर को व्यक्त नहीं कर सकता। यदि कोई ईश्वर को व्यक्त किया है इसका मतलब उसने ईश्वर को नहीं देखा।” ऐसे में क्या यह मान लिया जाए कि आज तक ईश्वर को किसी ने नहीं देखा। मित्रों इसका चिंतन और … Read more

ईश्वर पर शोध की आवश्यकता

विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों में ईश्वर की अवधारणा एक जटिल और विविधतापूर्ण विषय है। हजारों वर्षों से मानवता ने ईश्वर के अस्तित्व को समझने की कोशिश की है। कुछ लोगों ने अनुभव किया है कि उन्होंने ईश्वर को देखा या महसूस किया है, जबकि अन्य इसे केवल एक विश्वास के रूप में स्वीकार करते हैं। … Read more