अक्सर हम अपने दुःख को सबसे बड़ा मानते हैं, क्योंकि हमें अपने अनुभवों का भली-भांति एहसास होता है। लेकिन हर किसी के पास अपनी चुनौतियाँ और कठिनाइयाँ होती हैं। दूर से लगता है कि सामने वाले से ज्यादा हम दुखी हैं। परंतु ऐसा नहीं है हम किसी दूसरे व्यक्ति के जीवन में अंदर तक झांक नहीं सकते। यदि झांक भी सकते तो भी सामने वाले का दुःख महसूस नहीं कर सकते। इस वजह से दुनिया में सबसे ज्यादा हम अपने आप को हीं दुःखी मानते हैं।