रामसुखदास जी चरित्र गीताप्रेस

स्वामी जी सरलता और सादगी की मूर्ति,स्वामी श्री रामसुखदास जी के मुख्य कथन, स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज अतुलनीय कैसे, स्वामी जी के प्रशंसक और अनुयाई, रामसुखदास जी की विशेषता

स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज अपने आप में सरल और विलक्षण संत रहे। स्वामी जी का सरलता, सादगी और नि:स्वार्थता में पूरे संत समाज में किसी से तुलना नहीं हो सकता।

भारत के इतिहास में शायद ही ऐसा कभी नहीं हुआ होगा की इतना महान संत ,इतने ऊंचे स्थान पर बैठे हुए, उन्होंने कभी शिष्य न बनाया और न शिष्यों की गिनती बढ़ाई हो।

भारत में कितने ही संत अपने कर्मों को लेकर आसमान की ऊंचाइयों से सतह पर आ गए। स्वामी जी के पास समाज में बड़ा दिखने वाला संत कोई आता तो वह सीधा कह देते “हमारे पास व्यापारियों के आने का क्या मतलब।” वह वैसे संतो को कभी करीब नहीं आने देते जो शिष्यों के जरिए धर्म का व्यवसाय करते हैं।

स्वामी जी अतुलनीय

स्वामी जी को सेठ जी श्री महात्मा जय दयाल जी गोयनका परम प्रिय रहे। इसका कारण सेठ जी का कर्म के प्रति नि:स्वार्थ होना विशेष था। बात यदि गीता प्रचार की की जाए तो सेठ जी संसार में सबसे अग्रसर कहे जाएंगे।

क्योंकि सेठ जी के अंदर धर्म के लिए व्यवसाय का लेश मात्र भी अंश नहीं था। सेठ जी स्वयं स्वामी श्री को संतों में सबसे ज्यादा मान देते थे। सेठ जी के जीवन के ऊपर विशेष हम दूसरे लेख में करेंगे।

स्वामी श्री के एक भी शिष्य न होने के बाद भी उनके प्रेमी भक्तों का गिनती नहीं किया जा सकता। और एक दृष्टि से सभीं भक्त उनके शिष्य हीं हैं।

पूरे भारतवर्ष में स्वामी जी की तुलना किसी से नहीं हो सकता। जहां संसार में अधिकार और उत्तराधिकार की लड़ाई होता है इस जगत में स्वामी जी ने ना कोई अधिकार लिया और न ही किसी को उत्तराधिकार बनाया।

जिस संसार में समस्त मानव समाज अपने मान और सम्मान को बढ़ाने के लिए और पाने के लिए यत्न करते हैं।

स्वामी जी इन सब से कोसों दूर रहें। स्वामी जी की सरल वाणी सबको सीधा समझ में आता है। लाग लपेट और लंबी चौड़ी उदाहरण देकर नहीं बोलें।

स्वामी श्री रामसुखदास जी के मुख्य कथन

स्वामी जी सरल भाषा में बार-बार यही बात कहते रहें।

“भगवान सदैव से तुम्हारे हैं! तुम भगवान से कभी अलग हो नहीं! तुम भगवान से कभी अलग हो नहीं सकते। इस बात को दृढ़ता से स्वीकार कर लो कि भगवान तुम्हारे हैं और तुम भगवान के हो। भगवान से रट लगा दो! हे नाथ! मैं आपको भूलूं नहीं! संसार में निस्वार्थ कर्म करो और मन से परमेश्वर की भक्ति करो। गीता जी यही कहतीं है।”

स्वामी जी ऐसे संत रहे जिन्होंने किसी को अपनी जाल में नहीं बांधा!

स्वामी जी की समस्त वाणी बहुत ही सरल तरीके से समझ में आता है। उनके पास जो भी भक्त आया उन्होंने उसे एक आईना दिया। मानो वह आईना समाज में हो रहे वास्तविकता को दर्शाता हो।

स्वामी जी ने किसी को भी अपने जाल में नहीं बांधा, और बार-बार यही कहते रहे भक्ति अपना और पराया के मोह से ऊपर उठने के लिए है। स्वामी जी को समझने वाले भक्त! शिष्य किसी के भी हों परंतु भक्ति उनकी करते हैं।

यहां आश्चर्य की बात यह है की किसी के साथ बंध कर अथवा किसी कारणवश किसी को मान देना अलग बात होता है। जब व्यक्ति स्वयं से किसी के सिद्धांत को मान आदर देता हो तो उसका तुलना नहीं हो सकता।

स्वामी जी बाल अवस्था से ही संत रहे, उन्होंने समस्त भारतवर्ष का भ्रमण किया। स्वामी जी सनातन तथा हिंदू समाज को तो भली-भांति समझते रहे साथ में वे संत समाज को भी बहुत करीब से समझे।

स्वामी श्री रामसुखदास जी के प्रशंसक और अनुयाई संपूर्ण विश्व में मिलेंगे।

स्वामी जी के भक्त विश्व के कोने – कोने में मिलेंगे। यदि भारत की बात करें तो हर राज्य में उनके भक्त हैं। विशेषकर स्वामी जी राजस्थान से रहे।

स्वामी जी ऐसे विलक्षण संत रहे कि उन्होंने अपने जीवन के समय उत्तराधिकार के लिए अपनी वसीयत तक बना दी।

स्वामी जी अपना चरण स्पर्श, अपना जीवनी , नाम यश तथा तस्वीर इन सब का अपने लिए वे निषेध करते रहे। आज भी उनका किसी प्रकार प्रचार नहीं होता।

आज कोई व्यक्ति उनके बारे में सुन सकता है परंतु कोई देख नहीं सकता। क्योंकि स्वामी जी का कोई तस्वीर उपलब्ध नहीं है।

आज संसार में धन्य है वो आंखें जिन्होंने स्वामी जी का दर्शन प्राप्त किया। स्वामी जी के शरण में जिन्होंने एक क्षण भी व्यतीत किया यह सभीं अपने आप को संसार में बहुत बड़ा सौभाग्यशाली मानते हैं।

स्वामी जी के भक्त और प्रेमी आज भी उन्हें साक्षात दर्शन करते हैं अनुभव करते हैं।

जो स्वामी जी को मानते हैं वे भक्त आज भी स्वामी जी को अनुभव करते हैं। सदैव से इतिहास में कहा गया सच्चा संत वही होता है जो भावनाओं के जाल में बांधता ना हो।

जिसके समक्ष जाने से व्यक्ति को एक नई आंखें मिलता हो। संसार को देखने का एक नया दृष्टि मिलता हो। जिसके दर्शन के उपरांत संसार मोहित तो कर सकता है परंतु बांध नहीं सकता।

आज भी स्वामी जी के अनन्य भक्त अपने तरीके से, उनके अनुयाई स्वामी जी के शब्दों में नित्य दिन गोता लगाते हैं।

स्वामी जी का हर एक शब्द उनके अनुयायियों के लिए आज भी वरदान बनकर साथ में है। स्वामी जी के भक्त संसार में आज भी दूसरे की अपेक्षा बहुत भिन्न रहते हैं।

स्वामी श्री रामसुखदास जी की विशेषता व्यक्त नहीं किया जा सकता।

स्वामी जी के शब्दों का असली पहचान उनके शब्दों का सरलता है। परमात्मा सदैव अपने भक्तों के हृदय में विचरण करते रहे। स्वामी जी का हर एक शब्द आज ग्रंथ और शास्त्र बन कर समाज का कल्याण कर रहे हैं।

स्वामी जी के अनेकों हिंदू साहित्य गीता प्रेस के द्वारा प्रकाशित हुआ है और होते रहता है। उनमें सबसे मुख्य श्रीमद्भागवत गीता साधक संजीवनी।

वास्तव में साधक संजीवनी एक साधक के लिए इस संसार में वरदान के रूप में है। जिसे व्यक्ति सामाजिक समस्त लोकाचार को छोड़कर सदैव के लिए अपना सकता है।

स्वामी जी श्रीमद्भागवत गीता को विज्ञान की तरह कहते रहे। स्वामी जी के गीता के ऊपर किए गए शोध का फल है साधक संजीवनी है। स्वामी जी के महानता के ऊपर कितना भी कहा जाए कम होगा।

स्वामी जी सदैव अपने भक्तों के दिल में बस कर, अपने सिद्धांत और शब्दों के जरिए सब का कल्याण करते रहें। स्वामी जी को शत शत नमन।

Story Analyse

स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज वास्तव में एक अद्वितीय आध्यात्मिक गुरु थे, जिनका सरलता, सादगी और नि:स्वार्थता में पूरे संत समाज में किसी से तुलना नहीं हो सकता। उनका जीवन सरलता के साथ भरा हुआ था और उनकी बातचीत और उपदेश भी बहुत ही सरल और सादगीपूर्ण थे। उनके उपदेशों में जीवन की गहराईयों को समझाने की क्षमता थी जो लोगों को आत्मज्ञान की ओर ले जाती थी।

स्वामी जी की नि:स्वार्थता और समर्पण के प्रति उनकी निष्ठा ने उन्हें संत के रूप में अद्वितीय बना दिया। उनके जीवन में लोगों के लिए सेवा करने की भावना हमेशा उच्चतम थी, जिसने उन्हें समाज में अत्यंत प्रिय बना दिया। उनकी सादगी और सरलता ने उन्हें लोगों के दिलों में स्थान बनाया और उनके अनुयायियों के लिए उन्हें अद्वितीय बना दिया।

नम्र निवेदन –

ramasukhadas ji charitra

यह लेख आपको कैसा लगा कृपया अपना विचार व्यक्त करें ।’ इस वेबसाइट का एक महत्वपूर्ण पहल है जो हर कहानी को एक नए दृष्टिकोण से विश्लेषित करती है। वेबसाइट का मुख्य उद्देश्य पाठकों को विभिन्न दृष्टिकोणों और विचारों के माध्यम से कहानियों को समझने में मदद करना है। हर वाक्य और विचार एक नए पहलू को प्रकट करता है, जिससे पाठकों को अधिक समझने और सोचने का मौका मिलता है। Story Analyse के एडिटर सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी शब्दों में त्रुटि न हो, ताकि पाठकों को सही और स्पष्ट जानकारी प्राप्त हो। उसके बाद भी शब्दों में त्रुटि हो सकता है, उसके लिए हम अपने तरफ से खेद प्रकट करते हैं। साथ ही हम आपसे त्रुटि दर्शाने अथवा अपने विचार साझा करने के लिए अनुरोध करते हैं। आपका विचार और समय हमारे लिए महत्वपूर्ण योगदान है इसके लिए हम आपका विशेष धन्यवाद!

Discover more from Story Analyse - The great message of Hindu philosophy

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading