काश मैं चिड़िया होता

क्या मानव चिड़िया बनकर आनंद उठा सकता है, चिड़िया का वास्तविक जीवन कैसा होता है, एक चिड़िया का दर्द कोई मानव नहीं समझ सकता क्यों?

Image source WordPress


मानव चिड़िया को उड़ते हुए देखकर वैसा ही उड़ना चाहता है। मानव का मन उड़ता हुआ पंछी कहा गया है जो इस डाल पर कब बैठेगा कोई नहीं जानता। दिल को छू लेने वाला लेख कृपया अंत तक पढ़े।
एक चिड़िया बैठी डाल पर, काश मैं भी इंसान होती, तुम मुझे यूं बार-बार उड़कर खाना खाने के लिए ना जाना पड़ता। मैं भी अपने घर में बहुत बड़ा खाने का भंडार रखा करती।


काश मेरे पास भी एक एटीएम कार्ड होता, मेरे बैंक अकाउंट में बहुत सारे पैसे होते, तो मैं तो सिर्फ पेड़ पर उड़कर ही खेला करती।

इसी सोच में चिड़िया के पेट में दर्द होने लगा, चिड़िया सोच में पड़ गई, यह पेट का दर्द कैसा है। फिर थोड़ा उछल कर देखती है और फिर उसे आभास होता है, कि मेरे पेट तो भूख से दर्द कर रहे हैं।


एक चिड़िया के वास्तविक जीवन


चिड़िया चल पड़ती है खाने को,

बेचारी चिड़िया क्या करें खोजबीन कर रही है दाने को।

जैसे तैसे पेट भर चिड़िया आ गई वापस डाली को।

क्या करें चिड़िया ,चिड़िया तो चिड़िया है परेशान है अपने खाने को।

पूरा दिन चिड़िया परेशान रहती है यूं हींजीवन जीने को,

रात हुई, मानो कयामत आई, चिड़िया परेशान हुई,

क्या करें चिड़िया, मजबूर है बिना दाना पानी के रात गुजारने को।

सुबह का आभास हुआ नहीं की, प्रभास की लाली देख चिड़िया,

चिड़िया ने गाना गाया चिड़िया का दिल गुनगुनाया, मानो परमेश्वर ने नई जिंदगी ले आया।

क्या करे चिड़िया, चिड़िया तो चिड़िया है यूं ही जीवन जीना है,

और एक दिन बिना वारिस के लावारिस पड़े,

यह संसार छोड़ चले जाना है।



एक मानव चिड़िया का दर्द कोई नहीं समझ सकता
चिड़िया का दर्द मानव क्या समझे उसे तो अपने आनंद की फिक्र है।एक चिड़िया इंसान के सपने देखती, और अफसोस इंसान चिड़ियों के सपने देखता। काश परमेश्वर ने मेरे पंख बनाए होते, मैं भी फुदक फुदक कर, इस दुनिया से इस दुनिया में जाया करता।

वास्तव में इस प्रकृति में जो भी जीव है सबकी अपनी-अपनी परेशानी है, एक पेड़ है जिसे कोई भी आता है और काट जाता है, पेड़ खामोश यूं ही मायूस पड़ा रहता है ।

कहते हैं पेट भरने के बाद, बाघ और शेर भी किसी के ऊपर हमले नहीं करते। परंतु यह इंसान ही ऐसा जीव है, जो सब कुछ होने के बाद भी हमले पर हमले करता है, और सोचता है काश मैं भी चिड़िया होता, फुदक फुदक कर इस दुनिया से इस दुनिया में जाया करता।

 

नम्र निवेदन –
यह लेख आपको कैसा लगा कृपया अपना विचार व्यक्त करें ।’  वेबसाइट का एक महत्वपूर्ण पहल है जो हर विषय को एक नए दृष्टिकोण से विश्लेषित करती है।  हर वाक्य और विचार एक नए पहलू  प्रकट करने की कोशिश है, जिससे पाठकों को अधिक समझने और विचार का मौका मिलता है।  लेख के किसी भाग में जाने/ अनजाने से कोई शाब्दिक त्रुटि हो, उसके लिए हम अपनें तरफ से खेद प्रकट करते हैं। साथ हीं पाठक महोदय से आग्रह करते हैं कि आप त्रुटि दर्शायें अथवा अपना विचार  साझा करें । आपका विचार और समय हमारे लिए महत्वपूर्ण है , बहुमूल्य समय देने के लिए विशेष धन्यवाद!

Leave a Comment

Discover more from Story Analyse - The great message of Hindu philosophy

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading