भावनाओं से भाग कर कहां जाओगे जहां जाओगे अपने भावनाओं को साथ पाओगे। क्या लगता है भावनाएं तुम्हारा पीछा कर रही है। नहीं करीब से देखो तुम अपने भावनाओं का पीछा कर रहे हो। क्योंकि भावनाऐं उस परछाई के जैसे है जिस परछाई के लिए किसी प्रकाश की जरूरत नहीं होती। क्योंकि प्रकाश युक्त परछाई तो प्रकाश की मोहताज होती है। दूसरे को दोष मत दो इन भावनाओं का निर्माण तुमने स्वयं किया है। आश्चर्य की जरूरत नहीं है यह भावनाएं तुम्हें आनंद भी देती है तो दुख भी देगी। अपने भावनाओं को पाले रखो, खुशामद करो , हंसो और आश्चर्य करो।