दुःख को भी पढ़ना चाहिए

Dukh ko bhi samajhna chahie

ऐ दोस्त! मैं जानता हूं तुम बहुत दुःखी हो। परंतु यह भी मानना की उसके बाद भी तुम सुखी हो। कारण कुछ ऐसे भी दुखदाई इंसान हैं जिन्हें पता हीं नहीं होता कि वह दुःखी भी हैं। उनके सामने दुखों का बहुत बड़ा पहाड़ आने वाला है जिससे वे बच नहीं सकते। अपनें दुःखों को मापना हो  तो अपने नजदीकियों के अंदर झांकना सीखो। सामने वाला तुम्हें यह आभास भी नहीं होने देता कि वह दुःखी है। मेरे दोस्त जिस दिन तुम दूसरे को करीब से समझना सीख जाओगे उस दिन तुम्हें पता चलेगा तुमसे भी दुःखी कई लोग हैं। इसलिए कहता हूं दुख को भी पढ़ना चाहिए।

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