
विपक्ष कभी कहता था बीजेपी के पास मात्र राम मंदिर के सिवा कोई दूसरा एजेंडा नहीं है। बीजेपी के लिए यह भी कहा गया कि बीजेपी अपने एजेंटों को पूरा नहीं करना चाहती क्योंकि एजेंडा समाप्त होगा तो बीजेपी की राजनीति समाप्त हो जाएगी। परंतु बीजेपी के हाथ नित्य नए एजेंट आते गए और वह उसे पूरा करते भी गया।
कांग्रेस ने संविधान में सेकुलर शब्द तो जोड़ दिया परंतु उसके बाद भी अल्पसंख्यक शब्द नहीं हटाया। यदि कांग्रेस की नीतियों की बात करें तो कांग्रेस अपनें ही बनाए जाल में आज फंस चुकी है। कांग्रेस नया एजेंडा तैयार नहीं कर सकती और अपने पुराने एजेंट को छोड़ भी नहीं सकती।
उसका नतीजा यह है कि कांग्रेस ने अभी-अभी बीजेपी को एक नया एजेंडा दे दिया। कांग्रेस अपनें शासन के शुरुआत से ही हिन्दुओं में जात-पात फैलाकर अल्पसंख्यकों का एक मुस्त वोट लेती रही है। भारत में जैसे-जैसे क्षेत्रीय पार्टियां मजबूत हुई वैसे-वैसे जातिवाद और बढ़ता गया तथा अल्पसंख्यक वोटों पर भी राजनीति बढ़ता गया।
क्योंकि कांग्रेस के पास आज दूसरा कोई रास्ता नहीं है इसलिए सभीं क्षेत्रीय पार्टियों से भी आगे बढ़कर वह जातिवाद फैलाने में लगी है। बीजेपी को हिंदुओं का बहुत बड़ा वर्ग वोट देता है इसलिए कांग्रेस को फिर से सत्ता में आने के लिए अल्पसंख्यकों का एक मुस्तवोट चाहिए हीं होगा। कांग्रेस बिचारी क्या करें इन्हीं एजेंडा के तहत फिर से सत्ता में आने की कोशिश में है।
वैसे तो देखा जाए तो बीजेपी के लिए भारत में एजेंडा की कमी नहीं है। बीजेपी ने बहुत संख्या को पकड़ रखा है इस वजह से बीजेपी के पास एजेंडा भी बहुत है और बहुत बड़े-बड़े हैं।
परंतु जाने अनजाने में कांग्रेस ने बीजेपी को एक और बहुत बड़ा एजेंडा सौंप दिया। बीजेपी सदैव खुलकर बोला करती है की हम हिंदुत्व की राजनीति करते हैं परंतु योजनाओं में हमारा कोई भेद नहीं होता। कांग्रेस भी पहले ऐसा ही कहा करती थी । कांग्रेस शुरू से हीं अल्पसंख्यक विशेष के लिए विशेष एजेंडा पर चलाया करती थी। परंतु कांग्रेस को सर्व समुदाय की पार्टी माना जाता था। अभी की बात करें तो यह विदित है कि कांग्रेस अल्पसंख्यक विशेष की पार्टी बनकर रह गई है।
यहां तक की नीचे तपको के लिए कांग्रेस का दिखावा महज एक दिखावा हीं है। यह सब को पता है देश की सभीं राजनीतिक पार्टियां राजनीति करती हैं और राजनीति हीं करती रहेगी। वैसे भी एक राजनीतिक व्यक्ति राजनीति न करें तो और क्या करें। राहुल गांधी भी इसी कोशिश में लगे हैं कि भारत की सत्ता जो नेहरू खानदान से निकल चुका है वह किस प्रकार वापस हाथों में आ जाए।
मगर जाने अनजाने श्री राहुल गांधी ने बीजेपी को एक नया एजेंडा दे दिया और वह एजेंडा हिंदू और मुस्लिम का वर्गीकरण है। मुगल के लाख अत्याचार के बाद भी भारत से हिंदुत्व खत्म नहीं हुआ। परंतु आज का परिदृश्य बदल चुका है। मुगल अपने तलवार के बल पर और वहशीपने के बल पर लोगों पर हुकूमत किया करते थे अथवा किये थे। परंतु आज ये लोग अपने संख्या बल के बदौलत हुकूमत करते हैं।
सत्ता का परिदृश्य बदलने में समय नहीं लगता
जहां संख्या बल होगा अथवा बढ़ेगा तो राज्य सत्ता का परिदृश्य बदल जाएगा। इसका प्रमाण देश के पड़ोसी राज्य नेपाल, म्यांमार, थाईलैंड, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, पाकिस्तान तथा अनेंक ऐसे देश हैं जहां पर संख्या बल के बदौलत सत्ता का परिदृश्य बदल दिया गया। ऐसा नहीं है कि देश का हिंदू मूर्ख है, वह सब समझता है।
वह देश में और देश के बाहर क्या हो रहा है सबको पता है। एक हिंदू को निश्चित तौर पर पता होगा अथवा होना चाहिए की जीस बच्चों के लिए वह जीवन पर्यंत संघर्ष कर रहा है। उस बच्चे का भविष्य किसके हाथों में और कैसे सुरक्षित रहेगा। हमारे पूर्वजों ने अनेंक यातना सहकर भी अपनें हिंदुत्व को बचाए रखा। राहुल गांधी शायद यह भूल गए हैं कि वह मुसलमान को एक करके और हिंदुओं को अनेंक करके शासन करने की एजेंडे पर चल रहे हैं। यह बात हिंदू समझ नहीं पाएंगे अथवा बीजेपी समझ नहीं पाएगा।
अभी हाल फिलहाल योगी जी ने एक हीं शब्द में पूरा भूत, भविष्य और वर्तमान सब कुछ बता दिया। “बटोगे तो काटोगे।” भागवत जी ने कहा “हिंदू अपने आप को गर्व से हिंदू कहता है, हिंदुओं को सदैव एक रहना चाहिए क्योंकि अनेंक रहकर अपना रक्षा नहीं हो सकता।” अभी हाल फिलहाल मोदी जी ने भी कहा है ” कांग्रेस हिंदू को अनेंक करके सत्ता में वापस आना चाहती है। यदि हिंदू अनेंक रहेगा तो वे सभी जलसा करेंगे।”
सत्ता पक्ष के तीन बड़े नेताओं के ऐसे बयान से यह स्पष्ट हो जाता है कि बीजेपी को लॉन्ग टाइम के लिए एक नया एजेंडा मिल गया है। यदि देखने गए तो बीजेपी के पास भी दूसरा कोई रास्ता नहीं है। इसीलिए मैंने यह बताने की कोशिश की है की जाने अनजाने में कांग्रेस ने बीजेपी को बहुत बड़ा एजेंडा सौंप दिया।