वीरता पर बुद्धि का अंकुश

वीरता मानव का एक ऐसा गुण है जो सदियों से सराहा जाता रहा है। यह साहस, पराक्रम और निर्भीकता का प्रतीक है। वीरता के बिना, मनुष्य ने कभी भी इतनी प्रगति नहीं की होती। हालांकि, वीरता एक दोधारी तलवार है। यदि इसे बुद्धि द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाता है, तो यह विनाशकारी हो सकता है। … Read more

नमस्ते सनातन धर्म संस्कृति

नमस्कार नमस्ते प्रणाम राम-राम, जय सियाराम। कहते हैं हमारे जो अपने हैं वह प्रेम के भूखे हैं। दिल से निकले हुए शब्द के साथ प्रेम स्वत: ही सम्मिलित होता है। अपनों से अपनी भाषा में बात करें, अपनी संस्कृति में अपनी संस्कृति वाला प्रेम इजहार करें। सब अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाने में लगे हैं … Read more

डेमोग्राफी बदलाव के बाद

कुछ ओपन माइंड और दोगले किस्म के इंसान डेमोग्राफी बदलाव से संबंधित विचारों को सुनना भी पसंद नहीं करते हैं। यह उनकी प्रॉब्लम हो सकता है परंतु समाज उन चंद लोगों के विचारों के ऊपर नहीं चल सकता। जब डेमोग्राफी के अंदर बदलाव होता है तो उसका असर दूर तक होता है, यह प्रत्येक व्यक्ति … Read more

प्रसन्नता का आदान-प्रदान

prasannata ka aadaan-pradaan

प्रसन्नता एक ऐसा एहसास है जिसे जब हम दूसरों के साथ साझा करते हैं, तो यह न केवल उनके जीवन को रोशन करता है, बल्कि हमारे अपने जीवन में भी सकारात्मकता लाता है। जब हम खुशियाँ बांटते हैं, तो वे हम पर भी लौटती हैं।

इसका मुख्य कारण यह है कि खुशी का प्रभाव संक्रामक होता है। जब हम दूसरों को हंसते-खिलखिलाते देखते हैं या उन्हें खुश करने की कोशिश करते हैं, तो हमारी अपनी आत्मा में भी एक हलचल होती है। यह एक सकारात्मक चक्र की तरह काम करता है, जो हम सभी को जोड़ता है।

इसलिए, हमें अपनी खुशी को बांटने में संकोच नहीं करना चाहिए। जब हम एक-दूसरे के साथ प्रेम, सहानुभूति और खुशी का आदान-प्रदान करते हैं, तब हम न केवल अपने जीवन को सार्थक बनाते हैं, बल्कि एक सहयोगी और खुशहाल समाज की नींव भी रखते हैं।

 

रिश्तों का निर्माण करें

संसार में जब कोई अपना ना हो और जब कोई व्यक्ति अपने को अकेला एवं असहाय महसूस करे , तो वह वास्तव में एक विराने प्रदेश में जीवन जीने जैसा होगा । जीवन को जीने के लिए और सपने को सच करने के लिए अपनों का निर्माण करें, रिश्तों का निर्माण करें। तनहा जीवन मनुष्य को निराशा और उदासी की ओर ले जा सकता है। रिश्तों की गहराई और सामाजिक जुड़ाव जीवन को अर्थ और खुशी प्रदान करते हैं। इसलिए, अपने आसपास के लोगों के साथ संबंध बनाना और उन्हें संजोना बेहद महत्वपूर्ण क्रिया है। सामाजिक दृष्टि से भी यह अत्यावश्यक है।

सिर्फ अपनें भावनाओं की फिक्र

अक्सर लोग अपनी भावनाओं को ही प्राथमिकता देते हैं और दूसरों की भावनाओं को नजरअंदाज कर देते हैं। इस स्वार्थी दृष्टिकोण से संबंधों में दूरी आ सकती है। अगर हम थोड़ा और सहानुभूति दिखाएं और दूसरों के दृष्टिकोण को समझने की कोशिश करें, तो इससे हमें बेहतर समझ और सामंजस्य मिल सकता है। नहीं तो सामाजिक दृष्टि से देखे तो सबको सिर्फ अपनी भावनाओं की फिक्र है।