रामायण भक्त‌

चौपाई: जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं। सुख संपति नाना बिधि पावहिं।सुर दुर्लभ सुख करि जग माहीं।अंतकाल रघुपति पुर जाहीं। अर्थात तुलसी बाबा कहते हैं जो मनुष्य रामायण को सकामभाव से सुनते हैं और जो गाते हैं, वे अनेकों प्रकार के सुख और संपत्ति पाते हैं। वे जगत् में देवदुर्लभ सुखों को भोगकर अंतकाल में … Read more

हाय रे दुश्मनी

सब कहते हैं दुश्मनी करना अच्छा नहीं होता। पर सुनकर बात हजम भी नहीं होता। कारण यदि दुश्मनी करना अच्छा नहीं होता तो फिर लोग यूं दुश्मनी किया क्यों करते। कभी-कभी तो ऐसा भी देखने में आता है  दुश्मनी का न सर  नज़र आता है और ना ही पैर‌। खैर दुश्मनी तो दुश्मनी है । … Read more

डेमोग्राफी बदलाव के बाद

कुछ ओपन माइंड और दोगले किस्म के इंसान डेमोग्राफी बदलाव से संबंधित विचारों को सुनना भी पसंद नहीं करते हैं। यह उनकी प्रॉब्लम हो सकता है परंतु समाज उन चंद लोगों के विचारों के ऊपर नहीं चल सकता। जब डेमोग्राफी के अंदर बदलाव होता है तो उसका असर दूर तक होता है, यह प्रत्येक व्यक्ति … Read more

आनंद कहां है

आनंद किसी अटारी पर रखा हुआ वस्तु नहीं है जो लपक कर उठा लिया जाए। आनंद दो किस्म का होता है। एक आनंद जो स्वयं आता है और दूसरा जिसे हम जबरदस्ती लेकर आते हैं। स्वयं आने वाले आनंद का उम्र लंबा होता है और उसके साइड इफेक्ट नहीं होते। परंतु जबरदस्ती लाया गया आनंद … Read more

हंसो और आश्चर्य करो

भावनाओं से भाग कर कहां जाओगे जहां जाओगे अपने भावनाओं को साथ पाओगे। क्या लगता है भावनाएं तुम्हारा पीछा कर रही है। नहीं करीब से देखो तुम अपने भावनाओं का पीछा कर रहे हो। क्योंकि भावनाऐं उस परछाई के जैसे है जिस परछाई के लिए किसी प्रकाश की जरूरत नहीं होती। क्योंकि प्रकाश युक्त परछाई … Read more

माता-पिता बोझ नहीं

अपनें अतीत को कोई छोड़ नहीं सकता। अपनें अतीत को साथ लेकर चलना हीं होगा। आप यह मत भुलो  अतीत आपके साथ आपकी परछाई बनकर साथ-साथ चल रहा है। आज का जो वर्तमान है वह अतीत के नींव पर टिका हुआ है। आपने यदि अतीत को छोड़ने की कोशिश की तो आपका वर्तमान भी डगमगा … Read more