भारतीय संस्कृति अद्भुत एवं अतुलनीय

भारत आज महान कहा जाता है तो यह अपने मिश्रित संस्कृति को लेकर कहा जाता है। भारत की संस्कृति में अन्य देशों से सब कुछ अलग है। यहां औरतों को देवी का मान दिया जाता है। नदी को माता का दर्जा प्राप्त है। सूर्य को पिता कहा जाता है। भारत भूमि को भारत माता कहा जाता है। ऐसे ही जब आप करीब से संस्कृति को पढ़ो तो पता चलेगा प्रकृति का हर स्वरूप में भारतीय संस्कृति ईश्वर को देखता है, परम शक्ति को देखता है। भारतीय संस्कृति एक ऐसी अद्भुत संस्कृति है जिसका तुलना किसी से नहीं हो सकता। भारतीय संस्कृति एक प्रकार से अतुलनीय संस्कृति है।

भारतीय संस्कृति में प्रकृति ईश्वर का स्वरूप है।

यह समूचे विश्व समझता है की प्रकृति के ऊपर हीं समस्त मानव समाज अथवा धरती का प्रत्येक जीव आश्रित है।  भारतीय संस्कृति यह बात बखूबी समझता है की प्रकृति है तो हम हैं। यह भी कह सकते हैं प्रकृति से हीं हम हैं। भारतीय संस्कृति में प्राकृति से उपयोग करने वाले अथवा प्रकृति के ऊपर अपनें जीवन को जीने का अधार संपूर्ण प्रकृति को ही देता है। एक दृष्टि से देखा जाए तो भारतीय संस्कृति प्रकृति को ही ईश्वर मानता है। या इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि भारतीय संस्कृति प्रकृति के अंदर ईश्वर को देखता है।

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वैसे देखा जाए तो हर समाज में अच्छे और बुरे लोग होते हैं परंतु कुछ बातों से समस्त समाज को गलत नहीं कहा जा सकता। भारत अपनें प्राचीन संस्कृति को लेकर खास हीं नहीं बेहद खास है यहां सभीं का सम्मान है। भारत में एक नारी से संबंध बनाकर उसे आजीवन बरकरार रखने का संस्कृति है। यह विशेषता समूचे विश्व में भारत को सबसे अलग बनाता है। संस्कृति से अलग हटकर कुछ यहां होता भी है तो उसे समाज में सम्मान नहीं मिलता। अर्थात यह कह सकते हैं भारतीय संस्कृति में असामाजिकता का कोई जगह नहीं है। ऐसे अनेकों खूबियों से अपना भारत अन्य देशों के सामने अद्भुत एवं अतुलनीय है।

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