रामसुखदास जी चरित्र गीताप्रेस

स्वामी जी सरलता और सादगी की मूर्ति,स्वामी श्री रामसुखदास जी के मुख्य कथन, स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज अतुलनीय कैसे, स्वामी जी के प्रशंसक और अनुयाई, रामसुखदास जी की विशेषता स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज अपने आप में सरल और विलक्षण संत रहे। स्वामी जी का सरलता, सादगी और नि:स्वार्थता में पूरे संत समाज में … Read more

ईश्वर पर शोध की आवश्यकता

विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों में ईश्वर की अवधारणा एक जटिल और विविधतापूर्ण विषय है। हजारों वर्षों से मानवता ने ईश्वर के अस्तित्व को समझने की कोशिश की है। कुछ लोगों ने अनुभव किया है कि उन्होंने ईश्वर को देखा या महसूस किया है, जबकि अन्य इसे केवल एक विश्वास के रूप में स्वीकार करते हैं। … Read more

रिश्तों का निर्माण करें

संसार में जब कोई अपना ना हो और जब कोई व्यक्ति अपने को अकेला एवं असहाय महसूस करे , तो वह वास्तव में एक विराने प्रदेश में जीवन जीने जैसा होगा । जीवन को जीने के लिए और सपने को सच करने के लिए अपनों का निर्माण करें, रिश्तों का निर्माण करें। तनहा जीवन मनुष्य को निराशा और उदासी की ओर ले जा सकता है। रिश्तों की गहराई और सामाजिक जुड़ाव जीवन को अर्थ और खुशी प्रदान करते हैं। इसलिए, अपने आसपास के लोगों के साथ संबंध बनाना और उन्हें संजोना बेहद महत्वपूर्ण क्रिया है। सामाजिक दृष्टि से भी यह अत्यावश्यक है।

सिर्फ अपनें भावनाओं की फिक्र

अक्सर लोग अपनी भावनाओं को ही प्राथमिकता देते हैं और दूसरों की भावनाओं को नजरअंदाज कर देते हैं। इस स्वार्थी दृष्टिकोण से संबंधों में दूरी आ सकती है। अगर हम थोड़ा और सहानुभूति दिखाएं और दूसरों के दृष्टिकोण को समझने की कोशिश करें, तो इससे हमें बेहतर समझ और सामंजस्य मिल सकता है। नहीं तो सामाजिक दृष्टि से देखे तो सबको सिर्फ अपनी भावनाओं की फिक्र है।

सबसे दुःखी इंसान

अक्सर हम अपने दुःख को सबसे बड़ा मानते हैं, क्योंकि हमें अपने अनुभवों का भली-भांति एहसास होता है। लेकिन हर किसी के पास अपनी चुनौतियाँ और कठिनाइयाँ होती हैं। दूर से लगता है कि सामने वाले से ज्यादा हम दुखी हैं। परंतु ऐसा नहीं है हम किसी दूसरे व्यक्ति के जीवन में अंदर तक झांक नहीं सकते। यदि झांक भी सकते तो भी सामने वाले का दुःख महसूस नहीं कर सकते। इस वजह से दुनिया में सबसे ज्यादा हम अपने आप को हीं दुःखी मानते हैं।

 

आज के प्रयास से कल का निर्माण

आज के प्रयास ही भविष्य को आकार देते हैं तथा हम आज के प्रयास से ही कल का निर्माण कर सकते हैं।  अगर हम मेहनत करें और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहें, तो निश्चित रूप से कल बेहतर हो सकता है। यही तो जीवन का मूल मंत्र है।