कर्म फल का वास्तविक सिद्धांत

प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में उसके द्वारा किए गए कर्मों का गहरा प्रभाव होता है। हिंदू धर्म में यह कर्मों का सिद्धांत, जो प्राचीन ग्रंथों और पुराणों में पाया जाता है, यह स्पष्ट करता है कि हर एक व्यक्ति को उसके कर्मों का फल निश्चित रूप से प्राप्त होता है। इस विषय को वास्तविकता समझने … Read more

हिंदुत्व में महानता का मापदंड

मानवता की महानता केवल आत्म-घोषणा या सामाजिक स्थिति से नहीं मापी जाती है, बल्कि यह एक व्यक्ति के चरित्र के सार में निहित होती है। यह चरित्र ही है जो किसी व्यक्ति की सच्ची महानता को परिभाषित करता है, न कि केवल उनकी बाहरी उपस्थिति या उपलब्धियाँ।हिंदू दर्शन में, चरित्र को दो व्यापक श्रेणियों में … Read more

वीरता पर बुद्धि का अंकुश

वीरता मानव का एक ऐसा गुण है जो सदियों से सराहा जाता रहा है। यह साहस, पराक्रम और निर्भीकता का प्रतीक है। वीरता के बिना, मनुष्य ने कभी भी इतनी प्रगति नहीं की होती। हालांकि, वीरता एक दोधारी तलवार है। यदि इसे बुद्धि द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाता है, तो यह विनाशकारी हो सकता है। … Read more

दुःख को भी पढ़ना चाहिए

ऐ दोस्त! मैं जानता हूं तुम बहुत दुःखी हो। परंतु यह भी मानना की उसके बाद भी तुम सुखी हो। कारण कुछ ऐसे भी दुखदाई इंसान हैं जिन्हें पता हीं नहीं होता कि वह दुःखी भी हैं। उनके सामने दुखों का बहुत बड़ा पहाड़ आने वाला है जिससे वे बच नहीं सकते। अपनें दुःखों को … Read more

रामायण भक्त‌

चौपाई: जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं। सुख संपति नाना बिधि पावहिं।सुर दुर्लभ सुख करि जग माहीं।अंतकाल रघुपति पुर जाहीं। अर्थात तुलसी बाबा कहते हैं जो मनुष्य रामायण को सकामभाव से सुनते हैं और जो गाते हैं, वे अनेकों प्रकार के सुख और संपत्ति पाते हैं। वे जगत् में देवदुर्लभ सुखों को भोगकर अंतकाल में … Read more

ईश्वर जो सामने है

पंचतत्व में सम्मिलित श्री अग्नि को कौन नहीं जानता। भारत वह देश है जहां अग्नि को अग्नि देव कहा जाता है। अग्नि पुराण नाम से एक महान ग्रंथ है। अग्नि पुराण के सानिध्य में जब आप जाएंगे तो पता चलेगा अग्नि देव का इस सृष्टि के ऊपर कितना उपकार है।  अग्नि के बिना कोई सृष्टि … Read more