किसको कहेंगे अपना, जिसको कहते हैं अपना , करीब से देखो तो पता चलता है वह भी नहीं है अपना। स्वार्थ की नगरी में स्वार्थ के रिश्तेदारी। करीब से देखो पता चलेगा सबको है सिर्फ अपने अहम की पहरेदारी। किसी को भूलकर भी पराया कह दो तो वह रूठ जाता है, आश्चर्य वही लगता है जिसे भी अपना बनाया जरूरत पड़ने पर वह मुंह फेर पराया बना जाता है। आश्चर्य भरी यह दुनिया है फिर भी मुस्कुराते रहो।