परिवार में मनमुटाव एवं समाधान

एक बड़ा परिवार के अंदर अनेक लोग रहते हैं। परिवार को चलने के लिए एक नियम कानून की भी आवश्यकता होता है। ग्रह का स्वामी एक नियम के आधार पर अपने परिवार को संचालित करता है। परिवार में कभी किसी को दबना भी पड़ता है और कभी किसी को सहन भी मिलता है। परिवार में एक साथ रहने के अनेक फायदे हैं। जो बड़े परिवार का फायदा नहीं समझ सकता वह बड़े परिवार के साथ एडजस्ट नहीं हो सकता।

परिवार में मनमुटाव एवं समाधान



जब परिवार में व्यक्ति एक दूसरे की कीमत को ना समझे ऐसे में वह उसे व्यक्ति को समझ पाए यह संभव नहीं। आज भी समाज के अंदर बड़े-बड़े संगठन को करीब से देखा जा सकता है। बड़े-बड़े हाउसिंग सोसाइटीज को देखा जा सकता है। संगठन में साथ रहने के लिए सभी को संगठन के नियमों का पालन करना पड़ता है। संगठन में यदि सभी अपनी मर्जी से चलने लगे तो कोई भी संगठन नहीं चल सकता। परिवार भी बिल्कुल वैसा ही होता है।

पारिवारिक जीवन में प्यार, समर्थन और सहयोग की आवश्यकता होती है। हालांकि, अक्सर पीढ़ी के अंतर के कारण मनमुटाव उत्पन्न हो जाता है। यह एक सामान्य समस्या है, जो न केवल पारिवारिक संबंधों को प्रभावित करती है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और समग्र कल्याण पर भी असर डालती है। इस लेख में, हम समझने की कोशिश करेंगे की।  पीढ़ी के अंतर से उत्पन्न मनमुटाव को कैसे सुलझाया जा सकता है और इसके लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।


पीढ़ी का अंतर और उसके प्रभाव

हर पीढ़ी अपने समय की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से प्रभावित होती है। युवा पीढ़ी अक्सर स्वतंत्रता, नवीनता और तकनीकी बदलावों के प्रति अधिक प्रवृत्त होती है। दूसरी ओर, बुजुर्ग पीढ़ी पारंपरिक मूल्यों और स्थिरता को महत्व देती है। इन भिन्नताओं के कारण विचारों का टकराव, संवाद की कमी और गलतफहमियाँ उत्पन्न होती हैं। इससे पारिवारिक संबंधों में तनाव और दूरियाँ बढ़ सकती हैं। इसलिए मनमुटाव को कम करने के लिए निम्न प्रकार से कोशिश कर सकते हैं।




संवाद को गतिशील बनाएं

सकारात्मक संवाद पारिवारिक संबंधों का आधार है। परिवार के सदस्यों को नियमित रूप से एक-दूसरे के साथ बातचीत करने का समय निकालना चाहिए। यह न केवल विचारों और भावनाओं के आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है, बल्कि आपसी समझ और विश्वास को भी मजबूत करता है। आपस में संवाद होने से बची हुई कड़वाहटते दूर होता है।



सहानुभूति का विकास

सहानुभूति का अर्थ है एक-दूसरे की भावनाओं को समझना। परिवार के सदस्यों को एक-दूसरे की परिस्थितियों का सम्मान करना चाहिए। बुजुर्गों को युवाओं की चुनौतियों को समझने का प्रयास करना चाहिए, जबकि युवा सदस्य बुजुर्गों के अनुभवों का कद्र करें। परिवार में एक दूसरे के प्रति त्याग की भावना होनी चाहिए। यदि दूसरे के भावनाओं का सम्मान ना हो तो फिर रिश्ते को आगे बढ़ना मुश्किल है।


सहयोग की भावना को बढ़ावा दें

परिवार में सहयोग से मनमुटाव कम होता है। जब सभी सदस्य एक-दूसरे की मदद करते हैं, तो यह एकजुटता और सामंजस्य को बढ़ावा देता है। आपसी समर्थन से बंधन मजबूत होता है और पारिवारिक तनाव कम होता है। परिवार के प्रत्येक सदस्य को आपस में एक दूसरे को सहयोग करने की भावना सदैव रहनी चाहिए। क्योंकि एक दूसरे के लिए सहयोग की भावना आपसी प्रेम को आगे बढ़ाएगा।


पारिवारिक परंपराओं का समावेश

परिवार में पारंपरिक मूल्यों और आधुनिकता का समावेश होना आवश्यक है। पुरानी परंपराओं का पालन करते हुए नए विचारों को अपनाना चाहिए। इससे सभी पीढ़ियों के बीच एक संतुलन बनेगा, जो रिश्तों को मजबूत करेगा। आप यह ना भूल जो भी कुछ आप नया करने जा रहे हैं वह परिवार में नई परंपरा की शुरुआत है। जहां ने परंपराओं का शुभारंभ होता हो वहां पुराने परंपराओं का भी सम्मान होना चाहिए।



आपसी भूमिका की स्पष्टता

परिवार के सदस्यों की भूमिकाएँ स्पष्ट होनी चाहिए। जब हर सदस्य अपनी जिम्मेदारियों को समझता है, तो यह कार्यों में असमंजस को कम करता है और संबंधों में स्थिरता लाता है। यदि परिवार के सदस्य अपने जिम्मेवारियों को ना समझे तो परिवार में मनमुटाव का बड़ा कारण बन सकता है। क्योंकि यह सब जानते हैं हर आदमी एक दूसरे से स्वार्थ के बदौलत जुड़ा हुआ है। जब एक व्यक्ति सोचता है कि उसके स्वार्थ की पूर्ति हो तो ऐसे में निश्चित तौर दूसरे व्यक्ति के द्वारा भी स्वास्थ्य पूर्ति में सहयोग होना चाहिए। परिवार के सदस्य यदि अपनी भूमिका से बाहर होंगे अथवा भूमिका को नजर अंदाज करेंगे तो परिवार में मनमुटाव बढ़ेगा।


संक्षेप में विश्लेषण

पीढ़ी के अंतर के कारण पारिवारिक मनमुटाव एक सामान्य समस्या है, लेकिन इसे संवाद, सहानुभूति और सहयोग के माध्यम से सुलझाया जा सकता है। परिवार के सदस्यों को एक-दूसरे का समर्थन करते हुए एक सशक्त और एकजुट माहौल बनाने का प्रयास करना चाहिए। इस तरह, परिवार में प्रेम, समर्पण और समझ की भावना बढ़ती है, जो सभी के लिए लाभकारी होती है। एक स्वस्थ पारिवारिक वातावरण का निर्माण सभी के लिए खुशी और संतोष लाता है, जिससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है। पारिवारिक मनमुटाव को दूर करने के लिए चिंतन और विचार विमर्श होना चाहिए। अभी ध्यान में रखना चाहिए किस समाज में यदि परिवार की आवश्यकता नहीं होती तो शायद आज परिवार , समिज और गांव नहीं बनता। यदि समाज से रिश्ता निकाल दिया जाए फिर मानवता का कोई अर्थ ही नहीं रह जाएगा। यदि रिश्ता नहीं होगा तो परिवार नहीं होगा, घर नहीं होगा, समाज नहीं होगा, गांव नहीं होगा।

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