वास्तव में कामयाबी या सफलता किसी का गुलाम नहीं। कोई व्यक्ति जब कुछ पाने का निश्चय करता है तो उसके मन में अनेक प्रकार के ख्याल उत्पन्न होता है।
सफलता व्यक्ति से क्या खोजता है? मुझे सफलता कैसे मिले? मैं कामयाब कैसे होऊंगा? अमुक काम मेरा होगा कि नहीं? मुझे अपनों का साथ मिलेगा या नहीं? ऐसे अनेक प्रकार के प्रश्न अंदर ही अंदर चलने लगते हैं।
सफलता का गुण
हमारे पूर्वज या हमारे अपने बुजुर्ग जो उपदेश देकर गए हैं वह उपदेश सदैव ही कल्याणकारी है। प्राचीन इतिहास के द्वारा जो भी उपदेशक शब्द हम सभीं के सामने आया है, वह अतीत की कसौटी पर तौल कर आया है। उन सभीं शब्दों को किसी भी प्रकार से कोई प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं है।
किसी का सफल और असफल होने का कारण
संसार के लगभग सभीं वयस्क व्यक्ति लगभग- लगभग उन सभीं उत्तम शब्दों को जानते हैं। परंतु आश्चर्य की बात है कि वे उन शब्दों को अपने लिए प्रयोग नहीं करते। जैसा कि मैंने कहा की सफलता किसी का गुलाम नहीं। प्रत्येक व्यक्ति अपने भाग्य का निर्माता स्वयं होता। संसार में प्रत्येक व्यक्ति अपने एक-एक भावना का निर्माण स्वयं करता। यदि व्यक्ति स्वयं अवलोकन करें तो अपने भावना की शुद्धता का अंदाजा लगा सकता है। व्यक्ति का अपना भावना ही सफलता और असफलता का कारण है।
सफलता के लिए वास्तविकता
यदि वास्तविक बात करें तो मदद उसी को मिलता है जो वास्तव में मदद के योग्य होता है। या यूं कहें कि उसने अपने आप को मदद पाने का हकदार बनाया है। स्वयं को कुछ पाना है तो सर्वप्रथम दूसरे से मदद का आशा छोड़ देना होगा। क्योंकि दूसरे से पाने की आशा अपने विश्वास को कमजोर करता है। दूसरे से कुछ मिलने की आशा अपने दृढ़ता को छोटा बनाता है। यदि संक्षेप में सीधे शब्दों में कहा जाए तो कुछ भी पाने के लिए स्वयं से स्वयं को बनाना होगा और स्वयं से ही कोशिश करना होगा।
असफलता का कारण
अपने द्वारा किए गए हर प्रकार के कर्म फल का व्यक्ति स्वयं उत्तरदाई होता है। क्या करना है और क्या नहीं करना चाहिए, यह व्यक्ति स्वयं की भावना से निश्चित करता है। व्यक्ति का अपना भावना ही फूलों की माला पहनाता है, और अपना भावना ही जूतों की माला भी पहनाता है। संसार में व्यक्ति के पास दृढ़ निश्चय और पूर्ण आत्मविश्वास हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। व्यक्ति यदि यह निश्चित कर ले कि जो पाना चाहता है उसके लिए दुनिया के सभी प्रकार के तत्व संबंधों को छोड़ने के लिए वह तैयार है। निश्चित मिलेगा! कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है, और व्यक्ति निश्चित कर ले कुछ पाने के लिए हम सब कुछ खो देंगे बस!क्या बात है?
प्राचीन से एक कहावत चला आ रहा है”खुदी को कर बुलंद इतना कि खुदा बंदे से यह पूछे बोल तेरी रजा क्या है? ”
सफलता किसके हाथ
सफलता व्यक्ति के अपने हाथ में स्थित है। किसी चीज को पाने के लिए उसके बदले में उसके पास क्या है यह सबसे बड़ा विषय है।स्वयं से स्वयं को सोचना होगा, हम क्या कर सकते हैं किस लायक हैं, जो भी करें पूर्ण विश्वास और दृढ़ता से करें। निश्चित तौर पर सफलता मिलेगा। लक्ष्य को ध्यान में रखकर परिश्रम ही सफलता की कुंजी है।
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