Jadoo-tona Kee Vastavikata

दानव कहां रहता है,काला जादू अथवा जादू टोना कैसे कार्य करता है,

जादू टोना का वास्तविक आधार क्या है,तंत्र-मंत्र की कड़ियां को समझने के लिए क्या करना पड़ेगा,क्या आत्मा सिर्फ हम मानवों की होती है. जादू टोना वास्तविकता में क्या है, क्या वास्तव में जादू टोने होते हैं, यदि होते हैं तो उसका प्रभाव कैसे पड़ता है, और यदि नहीं होते हैं।

 

फिर दुनिया में इसका प्रचलन क्यों है? सवाल अनेकों प्रकार के होते हैं, जबकि यदि व्यक्ति विचार करें तो इसका उत्तर भी बहुत आसानी से समझ में आ जाएगा।

 

शरीर के अंदर ही दानव और मानव मौजूद है। शास्त्रों के अनुसार, इतिहास के अनुसार, संसार में परमेश्वर ने दुनिया की रचना में प्रथम देवता और दैत्य बनाएं।

 

यह दोनों वास्तविकता में एक सिक्के के दो पहलू। यदि देवता को निकाल दिया जाए तो दैत्य का कोई अस्तित्व नहीं है और यदि दैत्य को निकाल दिया जाए तो देवता का कोई अस्तित्व नहीं है।

 

यह धरती पर मौजूद सभी प्रकार के वेद शास्त्र अथवा धर्म व्यक्ति कहते हैं।

देवता और दैत्य के बाद परमेश्वर ने इंसान बनाया एक मानव। और इंसानों को देवता और दैत्य दोनों दिखाएं और अनुभव कराया कि तुम्हें जिधर जाना है उधर जाओ।

 

अथवा तुम्हें अच्छा करना है या बुरा करना है तुम स्वयं सोचो मैं उसमें हस्तक्षेप नहीं करूंगा। इंसानों के लिए या यूं कहें मानव के लिए परमेश्वर ने प्रकृति बनाया।

 

यह सभी धर्म शास्त्रों का लॉजिक कहता है। जबकि वास्तव में देव और दानव दोनों मानव शरीर में मौजूद है।

 

 

 

काला जादू अथवा जादू टोना कैसे कार्य करता है?

मानव के अंदर भावना जो स्वयं मानव के द्वारा निर्माण किया जाता है।धरती पर सभीं जीव भावना युक्त से बने रहते हैं, जीव के ऊपर भावनाएं हावी रहता है।

 

यह सिर्फ मानव में मौजूद नहीं, धरती पर अनेकों ऐसे जीव है जिन्हें हम करीब से देखें तो उनकी भावनाओं को समझ सकते हैं।

 

एक बंदर यदि मर जाए तो आप देखो शायद अनेकों बंदर डेरा जमा लेते क्योंकि उनका उसके साथ भावना जुड़ा हुआ है।

 

एक कौवे को देखें, एक कौवा यदि मरा हुआ पड़ा हो, उस जगह पर हजारों की मात्रा में कौवे उपस्थित हो जाते हैं।

 

वे कभी भी दूसरे जीव के लिए उपस्थित नहीं होतें। उनका एक दूसरे से भावना जुड़ा हुआ है।

हम मानव में अनेक व्यक्ति अनेकों जीव खाते हैं, परंतु उनके मरने से कभी दर्द नहीं होता क्योंकि उनके साथ हमारी कोई भावनाएं जुड़ी नहीं रहती।

 

यदि हमने अपना एक कुत्ता पाल रखा है, और यदि वह मर जाए , या अस्वस्थ हो जाए तो उसके लिए हम दुखी जरूर हो जाएंगे, क्योंकि हमने उसके साथ अपनी भावनाएं जोड़ रखी है, और यदि कोई इंसान मर जाए तो वो व्यक्ति जितना हम से करीब होगा हमें उतना ही दुख होगा।

 

जितना दूर होगा उतना उससे दुख कम होगा। या यूं कहें कि हम भावना के तौर पर जिस से जितना जुड़े रहते हैं ,वह जाते समय उतना हमें दुख दे जाता है।

 

हमने अनेकों बार सुना, रास्ते पर कोई एक्सीडेंट हुआ, यदि हमने स्वरूप से देखा तो तकलीफ हुआ, सुना तो विशेष मन में हलचल नहीं हुआ।

 

पूजा जप- तप बंदगी ,यह सब व्यक्ति की भावनाओं से जुड़ी है। यह भावनाएं एक दिन की बनी हुई नहीं होती, व्यक्ति जब से जन्म लेता है, भावनाएं दिन प्रतिदिन जूरते जाते हैं।

 

 

 

अब विचार की बात है , मरने वाला व्यक्ति चला गया। मर कर उसने कुछ नहीं सोचा हमारे बारे में, अथवा मरने के बाद वह हमारे बारे में कुछ नहीं सोच रहा होगा।

 

हमसे उसका जो जुड़ाव था वह जुड़ाव टूट गया। परंतु हम उसके बारे में महीनों ,सालों सोचते रहते हैं, या यूं कहें कि वह मरने के बाद भी उसकी भावनाएं हमें व्यथित करती रहती है।

 

क्या वास्तव में जाने वाला व्यक्ति हमें व्यथा देता है, नहीं ! ऐसा नहीं ,वास्तव में हमारी भावनाएं उससे जुड़ी हुई है। हमने उसके साथ अपनी भावनाएं जोड़ रखी है।

 

बहुत ऐसी केस में उदाहरण के तौर पर व्यक्ति को मिला होगा अथवा मिलेगा, जिसमें व्यक्ति की भावनाएं यदि परिवर्तित होकर कहीं और लग जाए तो पुराने भावनाओं से काफी हद तक व्यक्ति दूर चला जाता है।

 

 

 

जादू टोना का वास्तविक आधार क्या है?

जादू टोना भी, इसी भावनाओं के ऊपर आधारित होता है। इसको हम और विस्तार से समझते हैं परंतु इन भावनाओं को समझने के लिए हमें, एक उदाहरण और समझना होगा।

 

सम्मोहन विद्या एक कला है,जिसके जरिए एक व्यक्ति अपने तरीके से दूसरे को प्रभावित करता है।

 

सोचने की शक्ति, और भावनाओं की शक्ति ,व्यक्ति यदि पूर्ण रूप से जागृत कर ले, तो वह एक जगह बैठे हुए भी दूसरे को प्रभावित कर सकता है।

अपनी भावनाओं के जरिए सामने वाले व्यक्ति की भावनाओं पर कब्जा कर सकता है, अथवा यूं कहें कि जिस तंत्र मंत्र की भावनाओं में कोई व्यक्ति स्वयं ही बधा हुआ है।

 

वह दूसरे व्यक्ति के ऊपर अपनी भावनाओं के जरिए हावी हो जाता है, और उसकी भावनाओं में अपनी भावनाओं को सम्मिलित कर देता है।

 

सामने वाला व्यक्ति न चाहता हुआ भी वही करता है जो व्यक्ति, अपनी भावनात्मक शक्ति के जरिए कराना चाहता है।

 

 

तंत्र-मंत्र की कड़ियां को समझने के लिए क्या करना पड़ेगा?

तंत्र मंत्र की क्रिया को समझने के लिए स्वयं को भावनाओं को समझना पड़ेगा। तंत्र मंत्र में देवी कौन है और देवता कौन है ‌।

 

प्रकृति सारे जीव की जन्म दात्री है। इसलिए वह सदैव से ही देवी रही है माता रही है। परंतु जन्म देने वाली के सामने कोई अपना और कोई पराया नहीं होता।

 

उत्तराखंड यमुनोत्री में जब सैलाब आया तो उसमें अच्छे और बुड़े सभी व्यक्ति समाहित हो गए।

वास्तव में तंत्र मंत्र में व्यक्ति अपने भावनाओं के जरिए, अथवा यूं कहें की धार्मिक परंपराओं के जरिए, अपने अनुसार से देवी देवताओं का निर्माण करता है।

 

यदि सीधे तौर पर कहे तो यह सभी उस व्यक्ति के भावनाओं की खेती है।

 

मैं अपनी बातों से यह कभी नहीं कहता कि जादू टोने नहीं होते हैं , होते हैं और यह असर भी करता है, परंतु यह सभी भावनाओं के द्वारा उपज होते हैं और भावनाओं के ऊपर किए जाते हैं।

 

परमेश्वर को हजारों रुपों में हमने बनाया है वास्तव में परमेश्वर का रूप तो एक ही है, उसे कोई स्त्री माने या पुरुष। परमेश्वर सबसे बड़ा है और वह सब का है। कहते हैं आत्माएं पीछे लग जाती है।

 

 

 

क्या आत्मा सिर्फ हम मानवों की होती है?

आत्मा तो सभी जीवों की होती है। यदि चिंतन करें तो पता चलता है, की यह आत्मा ज्यादातर अपने चिंतकों के पास ही इर्द गिर्द घूमा करती है। यह सभीं एक दूसरे से जुड़े भावनाओं का खेल है।

 

बचपन से आज तक, न जाने, हमने कितने जिवों की हत्या जाने अनजाने में की है।

 

कुछ की हत्या गलती से हुआ, कुछ खेल में हुआ, और कितनों को तो खाकर किए। यदि वास्तव में आत्माएं हमारा पीछा करती, तो आज पता नहीं, हर एक व्यक्ति के पीछे, कितनी आत्माएं पड़ी होतीं।

 

अफसोस व्यक्ति अपने आप में चिंतन करें तो सब समझ सकता है। लेकिन भावनाओं का जाल ऐसा होता है, कि व्यक्ति स्वयं से स्वयं को चाह कर भी नहीं निकाल सकता।

 

 

 

अनेक भावनाओं को हमने सिंहासन देकर स्वयं बिठा रखा है।

यह भावनाएं जन्म के साथ ही, एक-एक करके शरीर के अंगों के द्वारा, प्रवेश करती है।

 

हर तरह का भावनाएं मिलकर, कब्जा जमाए बैठा है, जिसका उपाय कोई तंत्र मंत्र नहीं, सिर्फ और सिर्फ ज्ञान है।

 

कौन सा ज्ञान? एक परमेश्वर का ज्ञान, संसार में एक ही है जो हर प्रकार से सक्षम है, वही परमेश्वर है, वह हमारा है आपका है, सबका है।

 

जो उसे याद करता है उसका भी है और जो उसे याद नहीं करता है वह परमेश्वर उसका भी है।

 

इसीलिए सनातन पद्धति में एक मूल कथन है जहां ज्ञान है वहां प्रकाश है, जहां अज्ञान है वहां अंधेरा है।

नम्र निवेदन –

यह लेख आपको कैसा लगा कृपया अपना विचार व्यक्त करें ।’ इस वेबसाइट का एक महत्वपूर्ण पहल है जो हर कहानी को एक नए दृष्टिकोण से विश्लेषित करती है। वेबसाइट का मुख्य उद्देश्य पाठकों को विभिन्न दृष्टिकोणों और विचारों के माध्यम से कहानियों को समझने में मदद करना है। हर वाक्य और विचार एक नए पहलू को प्रकट करता है, जिससे पाठकों को अधिक समझने और सोचने का मौका मिलता है। Story Analyse के एडिटर सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी शब्दों में त्रुटि न हो, ताकि पाठकों को सही और स्पष्ट जानकारी प्राप्त हो। उसके बाद भी शब्दों में त्रुटि हो सकता है, उसके लिए हम अपने तरफ से खेद प्रकट करते हैं। साथ ही हम आपसे त्रुटि दर्शाने अथवा अपने विचार साझा करने के लिए अनुरोध करते हैं। आपका विचार और समय हमारे लिए महत्वपूर्ण योगदान है इसके लिए हम आपका विशेष धन्यवाद!

 

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